कभी तो सोचता था की ये स्वप्ननगरी है या
स्वप्नों का साक्षात्कार करने का शहर हो
एक अजीब शहर है ये
एक तरफ पानी का समुन्दर और दूसरी तरफ इंसानों का
ये समुन्दर और इंसानों से ही, ये शहर आज भी जिन्दा है
बम कितना भी फटे , लेकिन इधर किसी का ख्वाहिशें नहीं फटते
कहने वाले इसे सपनों शहर भी कहते है
लेकिन मालुम नहीं की इस बीड-बाड़ और शोर में सपना कैसे तलाश करें
फिर भी इधर लोग अपने सपने ही नहीं , प्यार भी ढूंढ लेते है
ये शोर कभी-कभी अच्छा है ताकि लोगों को अपने अन्दर की शोर सुनाई न दे
एक बार बाढ़ ने भी इस शहर का परीक्षा लिया
लेकिन यहां की बरसात की सुंदरता
वो कोई फरिश्ते से कम नहीं है
इस शहर ने बहुत लूटेरों को जन्म दिया है
लेकिन गणपति के सामने सब सर छुकते है
हम भी थे इधर जिंदगी की एक अनोखी पल में
जिनकी यादों का माधुर्य आज भी होटों पे नाच रही है
बच्चन और खान भी इधर से ही सपना ढूंढ लिया था
हमने भी इधर से ही सपनें देखना सीख लिया
मुंबई शहर सबका एक माशुका है!