Monday 26 August 2013

ये दूरियाँ

ये दूरियाँ कितने ही दूर हो
ये दूरियाँ उतने ही करीब हो

ये हमने कभी नापा नहीं था
ये हमने कभी सोचा नहीं था
ये फासले  कोई सपना है
ये  कभी मिटने वाला है

एक दिन था जब ये फासलें नाराश था हमसे
एक दिन था जब ये राहों भी रहता था अपने लिए
एक दिन था जब तुमने वो नरम सी हाथ अपने में आबाद किया था
और एक दिन था जब हर एक पल भी हमारा था 

आज फसलें को भी तुमने प्यार करना सिखाया
राह हम खुद चुन रहा है तुमारे बिना
वो नरम हाथ शायद मेरे सपनों में आबाद हो
और आज मालूम नहीं की किसी एक पल भी ये जिंदगी देगी तुमारे साथ

एक दिन था जब हम वो बूंदों का इंतजार करता था
वो बूँद  आने से फरियाद करता था खुदा से 
एक दिन था जब बग़ीचे हमारे लिए किलते थे
वो पेड़ों की छाव हमारे इंतजार करता था

आज मैं इधरजिधर वो बूंदों को एहसास भी नहीं की
शायद जिधर प्यार नहीं उधर बूँद भी क्यों
बग़ीचे क्यों किलेंगे ये बंजर में
छाव की तमन्ना भी नहींये रेगिस्थान रहेंगे हमेशा

फिर भी ये दूरियाँ जितनी भी दूर हो
ये दिलों की दूरियाँ उतनी ही करीब हो

Thursday 1 August 2013

दिल की वो बातें

दिल की वो बातें , दिल में ही रह जाते
तुम से भी तो कह नहीं पातें

कह नहीं सकते है तो, ऐसा ही रह जाते
जाने दी तो , न कही खो जाते

पहले खुद समचते है इन बातों को
ढूंढे अभी वो दिल को, जिसको एतबार कर लूं

अगर दिल को कुछ गहरी चोट लगी है
तो जरूर वो बातें माँ को ही मिटा सकती है

अगर गगन को चूने की तमन्ना है,
तो जरूर वो बातें पापा ही समच सकते है

अगर वो शक्ति को समाचना है,
तो जरूर वो बातें दादा- दादी को ही समचा सकती है

तन्हाईयों की बातें है तो
साथ लेलें दोस्तों को

मासूमियत की बातें है तो
सीख लें अपने छोटों से

प्रेम की बातों को तो वही समच सकते है
जो अपने दिल में आबाद है और फासलों से अतीत है

दिल में और भी बहुत बातें है
जो इस कविता में पूरा नहीं होते !