ये दूरियाँ कितने ही दूर हो
ये दूरियाँ उतने ही करीब हो
ये हमने कभी नापा नहीं था
ये हमने कभी सोचा नहीं था
ये फासले न कोई सपना है
ये न कभी मिटने वाला है
एक दिन था जब ये फासलें नाराश था हमसे
एक दिन था जब ये राहों भी रहता था अपने लिए
एक दिन था जब तुमने वो नरम सी हाथ अपने में आबाद किया था
और एक दिन था जब हर एक पल भी हमारा था
आज फसलें को भी तुमने प्यार करना सिखाया
राह हम खुद चुन रहा है तुमारे बिना
वो नरम हाथ शायद मेरे सपनों में आबाद हो
और आज मालूम नहीं की किसी एक पल भी ये जिंदगी देगी तुमारे साथ
एक दिन था जब हम वो बूंदों का इंतजार करता था
वो बूँद न आने से फरियाद करता था खुदा से
एक दिन था जब बग़ीचे हमारे लिए किलते थे
वो पेड़ों की छाव हमारे इंतजार करता था
आज मैं इधर, जिधर वो बूंदों को एहसास भी नहीं की
शायद जिधर प्यार नहीं उधर बूँद भी क्यों
बग़ीचे क्यों किलेंगे ये बंजर में
छाव की तमन्ना भी नहीं, ये रेगिस्थान रहेंगे हमेशा
फिर भी ये दूरियाँ जितनी भी दूर हो
ये दिलों की दूरियाँ उतनी ही करीब हो
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