Tuesday 7 May 2013

मेरी फ्लैट की बालकनी




balcony


जब से मैं  तेरी दीवाना हो गया
तब से तुमने मेरी यादों की बरसात गिराया

याद आती है  मेरी गाँव की, उधर की हवओं  की
वो सुबह की रोशिनी की , वो शाम की तनहाइयाँ

जब से तुम्हारे साथ मेरे पल को निवेश किया
तब से मिली गरम सुलैमानी में मोहब्बत का एहसास

ये चिड़ियों भी तुमें  इतना चाहता हे
नाचे आए तेरे आँगन में , और हमरी भी मन बहलायें

इन पेड़ों की छाव नें हमको दिलाया
मन में शान्तता की जाल सिलाया

पत्तों  के बीच से गगन की  मंजुल  चमकने लगी
और वो गगन अपनी आंखों  से हमको इशारा करने लगी

जब से तुम्हारी गोद में बैटने लगी
तब से लगने लगी की चारों और प्रकृति भी नाचने लगी

गुलाम अली की ग़ज़ल ले चली प्रेम गगन में
तुमें छोडके सो जाऊं कैसे , तुम्हारी गोद में ही सुबह निकालूं

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